स्थापना - सन 2001 रजि.न. 22/2013.14

झारखण्ड महाब्राह्मण संघ

संगठन के पूरे 25 वर्षों का साथ

शारीरिक और राजनीतिक आदि क्षेत्रों में सर्वांगीण विकास करता है।

संघ का कार्यक्षेत्र

उपधारा – 1
संघ की सांगठनिक कार्य समिति में निम्नांकित पदाधिकारी सदस्य होंगे:
अध्यक्ष-1, उपाध्यक्ष-2, महासचिव-1, संगठन सचिव-2, कोषाध्यक्ष-1 एवं सह कोषाध्यक्ष-1
एवं प्रत्येक जिला से एक-एक प्रतिनिधि इसके सदस्य होंगे।

उपधारा – 2
प्रदेश स्तर के अनुसार ही जिला एवं ग्रामीण स्तर पर कार्यसमिति का गठन किया जायेगा।

उपधारा – 3
क्षेत्र में कार्य प्रसार को सुविधानुसार उपाध्यक्ष, सचिव, संगठन सचिव एवं कार्य समिति के सदस्यों की संख्या घटाई या बढ़ाई जा सकती है।

उपधारा – 4
प्रदेश कार्य समिति का कार्यकाल तीन वर्ष का होगा।

उपधारा – 5
जिला एवं ग्रामीण कार्यसमिति का कार्यकाल भी तीन वर्ष का होगा।

उपधारा – 6
आवश्यकतानुसार संघ कार्यालय की व्यवस्था की जायेगी जिसमें एक कार्यालय होगा।

उपधारा – 7
कोई भी पदाधिकारी लगातार दो सत्र से अधिक अवधि तक नहीं बनेंगे।

उपधारा – 8
प्रदेश कार्यसमिति की बैठक तीन माह के अंतराल पर जिला कार्यसमिति की बैठक दो माह के अंतराल पर एवं ग्रामीण कार्यसमिति की बैठक प्रत्येक माह होगी।

उपधारा – 9
लगातार तीन बैठक में अनुपस्थित रहने वाले का पद स्वतः समाप्त हो जाएगा, लेकिन अनुपस्थिति की पूर्व जानकारी पर विचार किया जाएगा।

उपधारा – 1

अध्यक्ष:
बैठक बुलाने के लिए महासचिव को प्रेरित करता, बैठक की अध्यक्षता करता,
बैठक में उपस्थित लोगों के साथ सामान्य व्यवहार करता, बैठक का वातावरण शांत रखना,
निर्णय करना, मत विभाजन की सामान्य स्थिति होने पर अपना मत देकर निर्णय करना।

उपाध्यक्ष:
अध्यक्ष की अनुपस्थिति में अध्यक्ष का सारा कार्य करता। अध्यक्ष के कार्य में सहयोग करना।

महासचिव:
अध्यक्ष से राय लेकर बैठक बुलाना, बैठक की व्यवस्था पर ध्यान देना,
पदधारी नियोजन करना एवं अध्यक्ष से सूचीबद्ध कराना,
निर्णय का पालन कराना एवं प्रचार-प्रसार कराना, लिखित निर्णय, प्रचार एवं संगठन कार्य करना,
कार्यालय व्यवस्था की निगरानी करना, खर्च की राशि से संबंधित पावती पर हस्ताक्षर कर स्वीकृति देना,
रोजमर्रा के रजिस्टर हस्ताक्षर करना।

सह महासचिव:
महासचिव की अनुपस्थिति में महासचिव का सारा कार्य करता। महासचिव के कार्यों में सहयोग करना।

संगठन सचिव / प्रचारक – पूर्ण समाज की विकास योजना बनाना, सम्पर्क बढ़ाकर आपसी मनमुटाव दूर करना, क्षेत्र में प्रकाश कर सामाजिक स्थिति से संघ को अवगत कराना, खेल-धार्मिक प्रचारों में योगदान देना।

कोषाध्यक्ष – कोषधन की योजना रखना, लेखांकन एवं लेखा युक्त निगरानी करना, धन का विवरण कार्य समिति में रखना, कोष अंकेक्षण कराना, कोष की वित्तीयता बनाए रखना, कार्य समिति संग समन्वय साथ बजटानुसार सुरक्षित रखना।

सह कोषाध्यक्ष – कोषाध्यक्ष की अनुपस्थिति में कोषाध्यक्ष का सारा कार्य करना।
कोषाध्यक्ष के कार्य में सहयोग देना।

सदस्य – बैठक की चर्चा में भाग लेना, निःपक्ष होकर अपना विचार रखना, दिए हुए जिम्मेदारी का पालन करना।

उपधारा – 1 संघ के नाम पर स्थानीय बैंक में बचत खाता होगा।

उपधारा – 2 संघ के अध्यक्ष, महासचिव एवं कोषाध्यक्ष के हस्ताक्षर से बैंक खाता संचालित होगा।

उपधारा – 3 बैंक से राशि की निकासी अध्यक्ष महासचिव एवं कोषाध्यक्ष में किसी दो के हस्ताक्षर से ही की जाएगी, जिसमें कोषाध्यक्ष का हस्ताक्षर अनिवार्य होगा।

उपधारा – 4 कोषाध्यक्ष के पास नगद ₹500/पाँच सौ रूपये से अधिक नहीं रहेगा।

उपधारा – 1 संघ का आय-स्रोत हेतु प्रति शुल्क 5 रुपये प्रतिमाह रखेगा।

उपधारा – 2 सरकारी नौकरी, स्वयं का पेशा, व्यवसायी वर्ग एक दिन का आय प्रतिवर्ष संघ को दान स्वरूप देगा।

उपधारा – 3 उदघाटन अवसरों में प्राप्त राशि का रसीद देना अनिवार्य होगा।

उपधारा – 4 प्रांतीय समिति की व्यवस्था एवं आपूर्ति प्रदेशों के द्वारा की जाएगी।

उपधारा – 5 अन्य सक्षम व्यक्ति स्वेच्छा से अनुदान राशि देगा।

उपधारा – 6 प्रादेश यात्रा का 60 प्रतिशत ग्रामीण स्तर पर, 20 प्रतिशत जिला स्तर पर एवं 20 प्रतिशत प्रदेश स्तर पर कार्य समिति खर्च करेगी।

उपधारा – 1 दैनिक एवं पैतृक कर्मचारीगण की जानकारी हेतु प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी।

उपधारा – 2 शिक्षा प्रचार हेतु आवासीय विद्यालय की व्यवस्था पर ध्यान दिया जाएगा।

उपधारा – 3 कर्मचारीगण शासन के आधार पर ही कार्य करेगा। गलत कर्मचारीगण पर रोक लगाई जाएगी।

उपधारा – 4 ग्रामीण स्तर की सामाजिक समस्याएं एवं योजनाएं का समाधान ग्राम स्तर

उपधारा 1
संघ का नियम एवं निर्णय को उल्लंघन करने वालों को सामाजिक दण्ड दिया जायेगा।

उपधारा 2
कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे के अपमान में प्रोत्साहित नहीं जायेगा।

उपधारा 3
बिना संगठन निर्णय के अपमान के द्वार नहीं खोले जायेंगे।

उपधारा 4
महादलित जाति को सम्मान को ठेस पहुँचाने, अपमान करने वालों में सम्बंधित वर्ग एवं ब्राह्मण में श्राद्ध कराना छोड़ दिया जाएगा।

उपधारा 1
बाल विवाह पर रोक लगाई जाये।

उपधारा 2
मध्यान्ह पर रोक।

उपधारा 3
दहेज प्रथा रोकने हेतु मानसिक जागृति लाई जाए।

उपधारा 4
शादी विवाह में फिजूल खर्च नहीं किया जाये।

उपधारा 5
महिलाओं को सभी क्षेत्रो में आगे आने के लिए प्रोत्साहित किया जाये।

उपधारा 6
रूपा कर्मी में, खासकर मांसाहारी भोजन व्यवस्था पर रोक लगाई जाये।

उपधारा 7
अधार्मिकताजन्य जाति को धर्मशाला बनाया जाये।

उपधारा 1
संघ का प्रादेशिक सम्मेलन तीन वर्ष पर होगा।

उपधारा 2
जिला स्तर सम्मेलन प्रतिनिधि किया जायेगा।

उपधारा 3
आवश्यकतानुसार कार्यसमिति की आपात बैठक बुलाई जा सकती है।

उपधारा 4
कार्य की सुविधा हेतु संचालन समिति का गठन किया जायेगा।

उपधारा 5
संचालन समिति में निर्णय लेकर किसी कार्य का समाधान किया जा सकता।

उपधारा 6
शाखा वार्षिक गतिविधि की बैठक, से इसे पूर्ति कराया जायेगा।

उपधारा 1
आवश्यकतानुसार कार्य समिति को दो तिहाई मत से नियम में परिवर्तन किया जा सकता है।

उपधारा 2
संविधान एवं नियम के प्रति सभी लोगों की जवाबदेही होगी।

उपधारा 3
कार्यसमिति के बैठक की पूर्ण चर्चा की प्रतिलिपि सभी सदस्यों को दी जाये।

उपधारा 4
ग्रामीण कार्यसमिति बैठक की कार्यवाही की प्रतिलिपि जिला का एवं जिला कार्य समिति की बैठक की कार्यवाही की प्रतिलिपि प्रदेश को दी जायेगी।

Scroll to Top